Location: पलामू
गढ़वा और पलामू जिले के बिश्रामपुर विधानसभा चुनाव में इस बार मुकाबला बेहद रोचक और कड़ा हो गया है। 2019 के चुनाव की तरह इस बार भी कई प्रभावशाली उम्मीदवार मैदान में उतर रहे हैं, जिससे मतों का बंटवारा होने की संभावना बढ़ गई है। इस चुनाव में लगातार तीसरी बार जीतकर हैट्रिक लगाने के इरादे से भाजपा के कद्दावर नेता और पिछड़े वर्ग के प्रतिनिधि रामचंद्र चंद्रवंशी मैदान में हैं। हालांकि, सवाल यह है कि क्या चंद्रवंशी इतिहास रच पाएंगे या बिश्रामपुर में इस बार कोई नया चमत्कार होगा?
2019 के चुनाव परिणाम: एक नजर
2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के रामचंद्र चंद्रवंशी को 40,635 वोट मिले थे, जबकि बसपा के राजन मेहता ने 32,122 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे थे। निर्दलीय नरेश प्रसाद सिंह को 27,820 वोट मिले, कांग्रेस के चंद्रशेखर दुबे को 26,957, झारखंड विकास मोर्चा की अंजू सिंह को 24,851, एआईएमआईएम के अशर्फि राम को 11,558 और ब्रह्मदेव प्रसाद को 7,928 वोट प्राप्त हुए थे। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि बिश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र में मुकाबला कम अंतर वाला ही रहता है, और यह बार भी ऐसा ही रह सकता है।
सामाजिक और राजनीतिक समीकरण
गढ़वा और पलामू जिलों में हाल ही में कुछ धार्मिक विवादों के चलते हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण का माहौल बनता दिख रहा है, जिसका लाभ रामचंद्र चंद्रवंशी को मिल सकता है। चंद्रवंशी, जो राजद से राजनीति में आए थे, इस क्षेत्र के पिछड़े वर्ग में अच्छी पकड़ रखते हैं। इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता भी उनके पक्ष में असर डाल सकती है।
बसपा उम्मीदवार राजन मेहता
राजन मेहता, जो 2019 के चुनाव में दूसरे स्थान पर थे, बसपा की ओर से फिर से चुनौती पेश कर रहे हैं। वह पिछड़े वर्ग के साथ अपनी जाति कुशवाहा और दलित मतदाताओं में अच्छी पकड़ रखते हैं। भाजपा के मजबूत उम्मीदवार चंद्रवंशी के सामने राजन मेहता की स्थिति इस बार भी चुनौतीपूर्ण रहेगी।
राजद प्रत्याशी नरेश सिंह
पिछले चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे निर्दलीय उम्मीदवार नरेश सिंह इस बार राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। राजद के समर्थन से उन्हें पिछड़ों और राजद समर्थक मतदाताओं का फायदा मिल सकता है, जिससे उनकी स्थिति मजबूत मानी जा रही है।
साइकिल पर सवार अंजू देवी
2019 में चौथे स्थान पर रहीं अंजू देवी इस बार साइकिल (सपा का प्रतीक) के सिंबल पर चुनाव लड़ रही हैं। उनकी उम्मीदवारी पिछड़े और महिला मतदाताओं के बीच उन्हें एक विशिष्ट पहचान दिला सकती है, जिससे उनके पक्ष में मत जुटने की संभावना है।
ओबीसी एकता अधिकार मंच के प्रमुख ब्रह्मदेव प्रसाद
ओबीसी एकता अधिकार मंच के प्रमुख ब्रह्मदेव प्रसाद भी बिश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं। पिछड़े वर्ग के मतों के सहारे वह चुनाव को रोचक बना सकते हैं। ब्रह्मदेव लंबे समय से ओबीसी एकता के मुद्दे पर सक्रिय हैं, जिससे उन्हें एक सशक्त प्रत्याशी माना जा रहा है।
विकास दुबे और नई हलचल
कांग्रेस के पूर्व मंत्री चंद्रशेखर दुबे के परिवार से जुड़े विकास दुबे ने अपनी पत्नी जागृति दुबे को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारकर चुनाव में नई हलचल पैदा की है। विकास दुबे ने पिछले कुछ वर्षों में क्षेत्र में युवाओं और समाजसेवा में अच्छा प्रभाव जमाया है। इसके चलते उन्हें भी स्थानीय युवाओं और जनता का समर्थन मिल सकता है।
कांग्रेस ने यहां से सुधीर चंद्रवंशी को उम्मीदवार बनाया है परंतु सुधीर चंद्रवंशी का इस क्षेत्र में कोई जनाधार नहीं दिख रहा है सिर्फ सुधीर चंद्रवंशी इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी नरेश सिंह को कुछ नुकसान पहुंचा सकते हैं ईसके अलावा उनकी उपस्थिति इस क्षेत्र में कुछ खाश नही दीख रहा है।
इस बार के बिश्रामपुर विधानसभा चुनाव में पुराने और अनुभवी उम्मीदवारों के बीच नए समीकरण बनते दिख रहे हैं। सभी प्रमुख उम्मीदवारों के समर्थन, उनके जातीय समीकरण और धार्मिक ध्रुवीकरण के प्रभाव के कारण यह चुनाव अत्यधिक दिलचस्प होने की उम्मीद है। अब देखना यह है कि मतदाता किसे चुनते हैं और कौन इस मुकाबले में बाज़ी मारता है।