Location: Shree banshidhar nagar
– 25 जून 1975 के आपातकाल की घोषणा को केवल काला दिवस की संज्ञा देकर भुलाया नहीं जा सकता। आज से ठीक 50 साल पहले कांग्रेस की तानाशाह महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने विश्व के विशाल एवं महान लोकतंत्र को अपने पैरों से रौंदा था। यह बातें वरिष्ठ भाजपा नेता शारदा महेश प्रताप देव ने एक प्रेस बयान जारी कर कही है।
श्री देव ने कहा कि उस दिन अपने सांस्कृतिक एवं राजनीतिक परंपराओं की महान विरासत के लिए संसार में प्रसिद्ध भारत माता का सिर झुक गया था। देश के लगभग सभी विरोधी पार्टियों के बड़े-बड़े नेता जो वर्षों से लोकतांत्रिक विचारों का भारी भरकम बोझ अपनी मातृ भूमि को परम वैभव तक पहुंचाने के लिए कंधों पर ढो रहे थे, उन्हें पड़कर अपराधी की तरह जेल में ठूंस दिया गया। जिन राजनीतिक नेता या कार्यकर्ताओं को आपातकाल की घोषणा की भनक गिरफ्तार होने से पहले लग गई वे जहां-तहां दूसरों क घरों में छिपकर आश्रय लिए। पुलिस का ऐसा आतंक था कि नेताओं के छिपने की आशंका जिस घर पर होती थी उसे आधी रात को खुलवाकर खोज करती थी। पूरे देश में आपातकाल का ऐसा आतंक था जैसे किसी बाहरी ताकत ने आक्रमण कर दिया हो। यदि आपातकाल लगाने के औचित्य पर विचार किया जाए तो देश पर कोई आक्रमण होने वाला नहीं था, ना ही देश हित में किसी नुकसान की आशंका थी। सिर्फ अपनी कुर्सी बचाने के लिए देश के संविधान पर आघात पहुंचा कर उतना बड़ा अपराध इस कांग्रेसी निरंकुश इंदिरा गांधी ने कर दिया। अब उस काले विरासत को ढोने वाले उनके पोता राहुल गांधी और पतोहु सोनिया गांधी संविधान की प्रतियां दिखाकर पता नहीं क्या संदेश देना चाहते हैं। जब राहुल विदेश जाते हैं तो देश की भरपेट निंदा करते और देश हित को क्षति पहुंचाते हैं तथा देश में आकर संविधान के प्रति समर्पण दिखाते हैं। कभी देश के दुश्मन चिन से हाथ मिलाने चले जाते हैं, तो कभी टुकड़े-टुकड़े गैंग के लोगों को अपनी पार्टी का सदस्य बना लेते हैं। सत्ता हासिल करने के लिए विदेशी दुश्मनों से मदद की अपेक्षा करते हैं। इसलिए आज के इस काले दिवस के अवसर पर देश के समस्त राष्ट्रभक्त महान देशवासियों से आग्रह है कि ऐसे सत्ता लोलुप कांग्रेसी एवं उनके पिट्ठू राजनीतिक पार्टियों पर कड़ी नजर रखी जाए। ताकि देश सुरक्षित, समृद्ध और सतर्क रहे, फिर कोई दूसरे आपातकाल की पुनरावृत्ति ना हो।