Location: कांडी
कांडी प्रखंड के डुमरसोता पंचायत स्थित श्रीनगर गांव में सोन नदी पर बनने वाला बहुप्रतीक्षित श्रीनगर–पंडुका पुल अब पुनः गति पकड़ चुका है। लगभग 15 महीनों से बंद पड़ी परियोजना को पुनर्निविदा के बाद दोबारा शुरू कर दिया गया है। पुल निर्माण कार्य को अप्रैल 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है। कार्य का जिम्मा बीके गुप्ता इंफ्रास्ट्रक्चर, दिल्ली को दिया गया है। इस बार पुल की पुनर्निविदा 1 अरब 53 करोड़ रुपये में की गई है।
पूर्व संवेदक बृजेश अग्रवाल को गुणवत्ता दोष और अनियमितताओं के कारण काली सूची में डालते हुए कार्य से मुक्त कर दिया गया था। बिहार के कई जनप्रतिनिधियों की शिकायतों पर राष्ट्रीय गुणवत्ता जांच दल (एनआईटी) ने जांच की थी, जिसमें निर्माण में गंभीर खामियां पाई गईं। इसके बाद कार्य रोक दिया गया था।
करीब 2.15 किलोमीटर लंबे पुल में पहले से अधिक पिलरों का निर्माण हो चुका है। निर्माण के दौरान पिलरों में आई दरारों को ठीक करने के लिए संरचना में जैकेट लगाने या एनआईटी से परामर्श कर अन्य तकनीकी समाधान पर विचार किया जा रहा है।
पुल बन जाने से क्षेत्र के लोगों को बिहार पहुंचने में 120 किलोमीटर की दूरी घटकर मात्र 15–20 किलोमीटर रह जाएगी। इससे दोनों राज्यों के बीच परिवहन, व्यापार और आवागमन को बड़ा लाभ मिलेगा।
डुमरसोता पंचायत के मुखिया राजेश्वर विश्वकर्मा ने कहा कि पुल निर्माण से “दो राज्यों के दिलों का रिश्ता” मजबूत होगा और स्थानीय लोगों के लिए नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। हरिहरपुर पंचायत के मुखिया अनुज कुमार सिंह ने बताया कि पुल बन जाने से डेहरी ऑन सोन पहुंचना आसान होगा और मरीजों को इलाज के लिए लंबी दूरी नहीं तय करनी पड़ेगी।
स्थानीय ग्रामीणों और व्यापारियों का कहना है कि पुल निर्माण से युवाओं के लिए रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी, कृषि उपकरणों व उपज के आवागमन में आसानी होगी और सामाजिक व पारिवारिक रिश्तों में भी मजबूती आएगी। श्रीनगर–पंडुका पुल के पुनः प्रारंभ होने पर पूरे क्षेत्र में उत्साह है और लोगों को उम्मीद है कि यह पुल विकास और समृद्धि का नया मार्ग खोलेगा। तक पूरा होने का लक्ष्य; बिहार–झारखंड की दूरी घटकर होगी सिर्फ 15–20 किमी
सपाट खबर (न्यूज़ रिपोर्ट):
कांडी प्रखंड के डुमरसोता पंचायत स्थित श्रीनगर गांव में सोन नदी पर बनने वाला बहुप्रतीक्षित श्रीनगर–पंडुका पुल अब पुनः गति पकड़ चुका है। लगभग 15 महीनों से बंद पड़ी परियोजना को पुनर्निविदा के बाद दोबारा शुरू कर दिया गया है। पुल निर्माण कार्य को अप्रैल 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है। कार्य का जिम्मा बीके गुप्ता इंफ्रास्ट्रक्चर, दिल्ली को दिया गया है। इस बार पुल की पुनर्निविदा 1 अरब 53 करोड़ रुपये में की गई है।
पूर्व संवेदक बृजेश अग्रवाल को गुणवत्ता दोष और अनियमितताओं के कारण काली सूची में डालते हुए कार्य से मुक्त कर दिया गया था। बिहार के कई जनप्रतिनिधियों की शिकायतों पर राष्ट्रीय गुणवत्ता जांच दल (एनआईटी) ने जांच की थी, जिसमें निर्माण में गंभीर खामियां पाई गईं। इसके बाद कार्य रोक दिया गया था।
करीब 2.15 किलोमीटर लंबे पुल में पहले से अधिक पिलरों का निर्माण हो चुका है। निर्माण के दौरान पिलरों में आई दरारों को ठीक करने के लिए संरचना में जैकेट लगाने या एनआईटी से परामर्श कर अन्य तकनीकी समाधान पर विचार किया जा रहा है।
पुल बन जाने से क्षेत्र के लोगों को बिहार पहुंचने में 120 किलोमीटर की दूरी घटकर मात्र 15–20 किलोमीटर रह जाएगी। इससे दोनों राज्यों के बीच परिवहन, व्यापार और आवागमन को बड़ा लाभ मिलेगा।
डुमरसोता पंचायत के मुखिया राजेश्वर विश्वकर्मा ने कहा कि पुल निर्माण से “दो राज्यों के दिलों का रिश्ता” मजबूत होगा और स्थानीय लोगों के लिए नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। हरिहरपुर पंचायत के मुखिया अनुज कुमार सिंह ने बताया कि पुल बन जाने से डेहरी ऑन सोन पहुंचना आसान होगा और मरीजों को इलाज के लिए लंबी दूरी नहीं तय करनी पड़ेगी।
स्थानीय ग्रामीणों और व्यापारियों का कहना है कि पुल निर्माण से युवाओं के लिए रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी, कृषि उपकरणों व उपज के आवागमन में आसानी होगी और सामाजिक व पारिवारिक रिश्तों में भी मजबूती आएगी। श्रीनगर–पंडुका पुल के पुनः प्रारंभ होने पर पूरे क्षेत्र में उत्साह है और लोगों को उम्मीद है कि यह पुल विकास और समृद्धि का नया मार्ग खोलेगा।
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