हार से सबक लेने को तैयार नहीं भाजपा, 3 महीने में भी नहीं चुन सकी नेता, केंद्रीय नेतृत्व में भी मुंह फेरा

Location: रांची


रांची: झारखंड विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो गया. लेकिन भाजपा नेता प्रतिपक्ष का नाम तय नहीं कर सकी. भाजपा की अंदरूनी हालत क्या है इससे समझा जा सकता है. पार्टी की ओर से यह संकेत दिया गया था कि बजट सत्र तक नेता का नाम तय कर लिया जाएगा. मुझे भी उम्मीद थी कि इस बार नेता का चयन हो जाएगा. नेता प्रतिपक्ष के साथ-साथ मुख्य सचेतक और सचेतक का चयन भी किया जाना है. इसलिए मैने लिखा था कि 24 फरवरी से पहले नेता पर फैसला हो जाएगा. पर ऐसा नहीं हो सका. भाजपा अब गर्त में जाने की कहानी खुद लिख रही है. अपनी किरकिरी करा रही है. फजीहत झेल रही है.
  तीन महीने में भी नेता का चयन नहीं होना गंभीर मामला है. आलोचना के लिए विपक्ष को भी मौका मिल गया है. विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार से भी भाजपा सबक लेती नहीं दिख रही है. लगता है अभी और दुगर्ति बाकी है. केंद्रीय नेतृत्व ने भी ध्यान देना छोड़ दिया है. पार्टी रामभरोसे हो गई है. नेता चयन के मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी बेअसर हो गया है.
विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद पार्टी यह तय नहीं कर पा रही है कि विधायक दल का नेता किसको बनाया जाए. पूर्व मुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी का चेहरा आगे किए जाने, झामुमो के दिग्गज नेता चंपाई सोरेन को भाजपा में शामिल किए जाने सहित तमाम कोशिशों के बावजूद आदिवासी वोटरों का साथ नहीं मिला. ऐसे में पार्टी अब अपनी रणनीति बदलकर झारखंड में आगे बढ़ना चाहती है. ओबीसी, दलित व जनरल पर फोकस कर कोर वोटरों को अपने साथ रखने की रणनीति है. लेकिन इसमें भी देर हो रही है. वर्तमान राजनीतिक स्थिति में आदिवासी वोटरों का साथ आगे भी मिलना कठिन है.
     नेता प्रतिपक्ष का चुनाव नहीं होने से विधायकों व कार्यकर्ताओं में भी निराशा है. सब केंद्रीय व प्रदेश नेतृत्व को कोस रहे हैं. नेता नहीं चुने जाने के मामले में भाजपा को विपक्ष भी घेर रहा है. कह रहा है कि तीन महीने में नेता नहीं चुन सके. अब सरकार का विरोध करने की हिम्मत कहां हैं. स्पीकर रवींद्र नाथ महतो भी इस मुद्दे पर गंभीर टिप्पणी कर चुके हैं. इस मुद्दे पर भाजपा बैकफुट पर है. जवाब देते नहीं बन रहा है. स्तर पर आलोचना हो रही है. बजट सत्र के दौरान सदन में भी भजपा नेताविहन रहेगी. सरकार को घेरना मुश्किल होग. आम लोग भी कह रहे हैं कि तीन महीने में पार्टी नेता तक नहीं चुन सकी है. इससे हालात का पता चलता है. हार से सबक लेने को तैयार नहीं दिख रही है भजपा. फैसला तो लेना पड़ेगा. समय टालने से समस्या खत्म नहीं होगी. जितनी देर होगी उतनी फजीहत होगी.

Loading

आपकी राय महत्वपूर्ण है!

इस समाचार पर आपकी क्या राय है? कृपया हमारे लेख को लाइक या डिसलाइक बटन से रेट करें और अपनी प्रतिक्रिया कमेंट सेक्शन में साझा करें। आपके विचार और सुझाव हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं और हमें बेहतर सेवा देने में मदद करेंगे। धन्यवाद!

  • Sunil Singh

    Sunil Singh is Reporter at Aapki khabar from Ranchi, Jharkhand.

    News You may have Missed

    गढ़वा जिला क्रिकेट संघ के पदाधिकारियों का चुनाव 28 अप्रैल को, नामांकन प्रक्रिया 21 अप्रैल से

    गढ़वा जिला क्रिकेट संघ के पदाधिकारियों का चुनाव 28 अप्रैल को, नामांकन प्रक्रिया 21 अप्रैल से

    श्री बंशीधर नगर: पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा ने किया भगवान बांके बिहारी का दर्शन, हफीजुल पर बोले—पद की गरिमा का हो रहा दुरुपयोग

    श्री बंशीधर नगर: पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा ने किया भगवान बांके बिहारी का दर्शन, हफीजुल पर बोले—पद की गरिमा का हो रहा दुरुपयोग

    कन्याओं के सशक्तिकरण हेतु भव्य सेमिनार, संस्था ने पेश की 14,000 बेटियों को संबल देने की मिसाल

    कन्याओं के सशक्तिकरण हेतु भव्य सेमिनार, संस्था ने पेश की 14,000 बेटियों को संबल देने की मिसाल

    गढ़वा से 17 नेताओं की झामुमो केंद्रीय समिति में एंट्री, संगठन में जिले की बढ़ती पकड़

    अग्निशमन सेवा सप्ताह के तहत जीएन कॉन्वेंट स्कूल में मॉक ड्रिल, छात्रों को सिखाया गया आग से बचाव का तरीका

    अग्निशमन सेवा सप्ताह के तहत जीएन कॉन्वेंट स्कूल में मॉक ड्रिल, छात्रों को सिखाया गया आग से बचाव का तरीका

    रमना: मवि गम्हारिया में बाल संसद का गठन, गूंजा कुमारी बनीं प्रधानमंत्री

    error: Content is protected !!