
Location: Garhwa
गढ़वा। जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में इलाज व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। ओपीडी से लेकर इमरजेंसी तक मरीजों की जिंदगी के साथ खुलेआम खिलवाड़ हो रहा है। चिकित्सकों और चिकित्सा कर्मियों की मनमानी के बीच अस्पताल का प्रबंधन भी अपनी जिम्मेदारी से गायब है।
सदर अस्पताल को सुव्यवस्थित रूप से संचालित करने की जिम्मेदारी उपाधीक्षक डॉ. हरेनचंद्र महतो और मैनेजर सुनील मणि त्रिपाठी की है, लेकिन दोनों ही अधिकारी अक्सर किसी न किसी बहाने से अस्पताल से गायब रहते हैं।
स्थिति यह है कि एलोपैथी चिकित्सकों के लिए तय ड्यूटी रोस्टर के बावजूद कई बार उनकी जगह अधकचरे ज्ञान वाले चिकित्सा कर्मी या होमियोपैथी चिकित्सकों को मरीजों का इलाज करते देखा गया है। इससे सबसे अधिक नुकसान उन मरीजों को होता है, जो बेहतर इलाज की उम्मीद में सदर अस्पताल आते हैं।
रविवार को इमरजेंसी ड्यूटी में सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक भवनाथपुर में पदस्थापित आयुष (होमियोपैथी) चिकित्सक डॉ. जे.पी. ठाकुर मरीजों का इलाज कर रहे थे। वे न केवल एलोपैथी पर्ची पर दवाएं लिख रहे थे, बल्कि इमरजेंसी में भी बैठे थे। जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वे डॉ. कुमार प्रशांत प्रमोद के कहने पर ड्यूटी कर रहे हैं।
इस पर सिविल सर्जन डॉ. अशोक कुमार ने स्पष्ट किया कि होमियोपैथी चिकित्सक को सदर अस्पताल की इमरजेंसी ड्यूटी में बैठाना पूरी तरह गलत है। उन्होंने कहा कि इस मामले में संबंधित ड्यूटी रोस्टर चिकित्सक, उपाधीक्षक और होमियोपैथी चिकित्सक के खिलाफ शोकाज नोटिस जारी करने और विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की जाएगी।
प्रशासनिक लापरवाही और गैर-प्रशिक्षित कर्मियों के भरोसे चल रहा जिला मुख्यालय का यह अस्पताल यदि ऐसी स्थिति में है, तो जिले के अन्य अस्पतालों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।