
Location: Ranka
रंका/गढ़वा: रंका अनुमंडल क्षेत्र में श्वेत क्रांति की अपार संभावनाएं होने के बावजूद, झारखंड सरकार और पशुपालन विभाग की अनदेखी से दुग्ध उत्पादन से जुड़े किसान खुद को असहाय और उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। दो वर्षों पूर्व विभागीय निर्देश पर किसानों से उपकरण उपलब्ध कराने हेतु आवेदन लिए गए थे, बैंक खाते भी खुलवाए गए, लेकिन अब तक किसी भी लाभुक को उपकरण उपलब्ध नहीं कराया गया है।
इस कारण छोटे और मझोले किसान लगातार कठिन परिस्थितियों में भी दुग्ध उत्पादन जारी रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। न केवल स्वयं के भरण-पोषण की चिंता उन्हें सता रही है, बल्कि मवेशियों के चारे की व्यवस्था भी एक बड़ी चुनौती बन चुकी है।
झारखंड राज्य सहकारी दुग्ध उत्पादक समिति के सदस्य सत्येन्द्र कुमार यादव ने जानकारी दी कि रंका अनुमंडल क्षेत्र में कुल 4,64,433 पशुधन हैं, जिनके संरक्षण और चारा व्यवस्था पूरी तरह रामभरोसे है। बावजूद इसके, किसान प्रतिदिन साढ़े चार हजार लीटर दूध सहकारी समिति को उपलब्ध करा रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि यदि सरकार का अपेक्षित सहयोग मिलता, तो इस क्षेत्र से प्रतिदिन 2 लाख लीटर दूध का उत्पादन संभव था।
सत्येन्द्र यादव ने बताया कि सरकार, मंत्री और विधायक पिछले एक दशक से श्वेत क्रांति को लेकर बड़े-बड़े वादे करते आ रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। छह माह पूर्व एक बार फिर उपकरण देने के लिए आवेदन मांगे गए थे, जिसमें रंका प्रखंड के 14 पंचायतों के 60 से अधिक गांवों के किसानों ने 200 रुपये से अधिक खर्च कर आवेदन पत्र जमा किया, लेकिन आज तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
नतीजतन, इस इलाके के दुग्ध उत्पादक किसान आज भी तमाम विपरीत परिस्थितियों में अपने परिवार और पशुधन की देखभाल करते हुए जीवन की गाड़ी को किसी तरह खींचने को मजबूर हैं।