
Location: Meral
मेराल। राष्ट्रीय अंसारी एकता संगठन के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष एवं गढ़वा जिला के मेराल दुलदुलवा गांव निवासी फिरोज अंसारी ने कहा कि माहे रमजान सिर्फ रहमतों और बरकतों का महीना नहीं, बल्कि आपसी भाईचारे और इंसानियत का भी संदेश देता है। उन्होंने बताया कि रोजा केवल भूखे-प्यासे रहने का नाम नहीं है, बल्कि अश्लीलता और गलत कामों से बचने का भी संदेश देता है।
फिरोज अंसारी ने रमजान से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी साझा करते हुए कहा कि इस्लाम धर्म में हर मुस्लिम पुरुष और महिला पर रोजा रखना फर्ज है। इसके साथ ही ईमानदारी और सच्चाई के साथ नमाज अदा करना और कुरान पढ़ना आवश्यक बताया गया है। उन्होंने कहा कि इस्लाम में आर्थिक रूप से सक्षम व्यक्ति के लिए अपनी कमाई का ढाई प्रतिशत ज़कात के रूप में गरीबों में बांटना अनिवार्य है। इसके अलावा, प्रत्येक परिवार को अपने प्रत्येक सदस्य के नाम से फितरा के रूप में लगभग ₹60 प्रति व्यक्ति देना जरूरी होता है।
प्रदेश अध्यक्ष अंसारी ने कहा कि अपने खानदान के दिवंगत सदस्यों के नाम से सदका के रूप में पैसा, अनाज आदि गरीबों और मस्जिद-मदरसों में दान करना चाहिए, जिससे उन्हें कब्र के आजाब से निजात मिल सके। उन्होंने जोर देकर कहा कि रोजे की इफ्तार में अधिक से अधिक लोगों को शामिल करने की कोशिश करनी चाहिए और गरीबों एवं जरूरतमंदों का विशेष ख्याल रखना चाहिए।
रोजा रखने के स्वास्थ्य लाभों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि इससे पाचन तंत्र बेहतर होता है, वजन नियंत्रित रहता है और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों से बचाव होता है। इसके अलावा, शरीर से विषैले तत्व नष्ट होते हैं और किडनी की सफाई होती है।
अंत में, उन्होंने आत्मसंयम और अच्छी जीवनशैली अपनाने पर जोर देते हुए कहा कि रमजान के आखिरी दिन नजदीक आ रहे हैं, इसलिए सभी रोजेदारों को ज़कात, फितरा और सदका अदा कर लेना चाहिए। साथ ही, 27वीं रात यानी लैलतुल कद्र की इबादत में शामिल होकर विशेष फज़ीलत और बरकत प्राप्त करनी चाहिए।