
Location: रांची
रांची: झारखंड में अपराधियों का आतंक चरम पर है। कई आपराधिक गिरोह सक्रिय हैं। हर तरफ आतंक वह दहशत का माहौल है। अराजकता की स्थिति है। पुलिस अपराधियों के सामने बेबस नजर आ रही है। पुलिस कितनी लाचार है यह इस बात से प्रमाणित है कि पुलिस प्रमुख अनुराग गुप्ता खुद कह रहे हैं कि राज्य के तीन बड़े अपराधी अलग-अलग जेलों से अपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। जब जेल से अपराधी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं तो समझा जा सकता है कि यहां जेल की व्यवस्था क्या है और पुलिस क्या कर रही है। डीजीपी के बयान के बाद बहुत कुछ कहने की आवश्यकता नहीं रह गई। सब कुछ समझ लेना चाहिए। पुलिस की स्थिति क्या है। गैंगस्टर और अपराधियों के सामने पूरा सिस्टम फेल है। सिस्टम पर अपराधियों का कब्जा है।
जब पुलिस की किरकिरी हर तरफ होने लगी। विधानसभा तक शोरगुल पहुंचा तो फिर झारखंड पुलिस ने आखिरकार यूपी का रास्ता अपनाना। बात समझ में आई कि अब योगी मॉडल के रास्ते पर चलकर ही अपराधियों पर नकेल कसा जा सकता है। अब कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है।
फिर क्या हुआ पुलिस ने आतंक का पर्याय बन चुके गैंगस्टर अमन साहू को रायपुर से रांची लाने के दौरान पलामू में मुठभेड़ दिखाकर मार डाला। पुलिस ने बहादुरी दिखाई। पुलिस की तारीफ करनी होगी।
अमन साहू के मुठभेड़ में मारे जाने की खबर मिलते ही यूपी के गैंगस्टर विकास दुबे मुठभेड़ की याद आ गई। जिस स्टाइल में यूपी पुलिस ने विकास दुबे को मार गिराया था, उसी स्टाइल में अब झारखंड पुलिस ने अमन साहू को मार गिराया है। आखिरकार यूपी पुलिस के रास्ते पर चलने को झारखंड पुलिस मजबूर हुई है।
यदि यही रास्ता पहले अपनाया गया होता तो शायद अपराधी इतनी घटनाओं को अंजाम नहीं देते। कई निर्दोष लोगों की जान नहीं जाती। राज्य में आतंक का माहौल नहीं बनता। सरकार की छवि खराब नहीं होती। खैर यदि अभी भी झारखंड पुलिस सचेत हो जाए तो आने वाले दिनों में अपराध पर लगाम लगाया जा सकता है।