Location: Garhwa
गढ़वा जिले की मेराल में विगत गुरुवार को फ्लाई ओवर निर्माण कंपनी के साइड पर मेराल थाना परिसर के आजू-बाजू में घाटी फायरिंग की घटना को गुजरे तीन दिन का वक्त बीत चुका है ,बावजूद पुलिस का हाथ उक्त फायरिंग कांड में शामिल अपराधियों को गिरफ्तारी करने के मामले में पूरी तरह से खाली है ।
लिहाजा मेराल पुलिस के कार्य प्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं ? सवाल सिर्फ पुलिस की इस फायरिंग कांड में शामिल अपराधियों को सिनाख्त कर गिरफ्तारी करने को लेकर ही नहीं , बल्कि पुलिस के द्वारा घटना के दिन पकड़े गए अपराधी को बेकसूर बताकर गुपचुप तरीके से छोड़े जाने पर भी तरह-तरह के उठाए जा रहे हैं।
पुलिस के द्वारा बेकसूर बताकर पकड़े गए युवक को छोड़ दिए जाने के पीछे पुलिस पर कहीं राजनीतिक दबाव तो नहीं थी ,जैसी चर्चा भी खूब चल रही है। इस चर्चा को तीन दिन घटना के गुजर जाने के बावजूद अब तक फायरिंग कांड का पुलिस द्वारा उद्वेदन नहीं किए जाने से भी बल मिल रहा है । साथ ही पुलिस हिरासत में लिया गये युवक कौन था, उसकी पहचान पुलिस द्वारा क्यों गोपनीय रखा गया, यह रहस्य भी आम लोगों की नजर में पुलिस द्वारा युवक को छोड़े जाने की पुलिस की मंशा की चर्चा पर बल दे रहा है।
जहां तक गुरुवार को एन एच 75 निर्माण की कंपनी के मेराल फ्लाई ओवर निर्माण साईड पर जिस प्रकार से शाम 7:00 बजे फायरिंग की घटना का प्रश्न है। घटना के दिन अपराधियों ने जो चार फायरिंग यहां किए थे उसमें कंपनी की एक इंजीनियर की जान तो बाल बाल बच गई थी । साथ ही इस घटना से जहां एक ओर निर्माण कंपनी से जुड़ी कामगारों में दहशत है । वहीं मेराल के रिहायशी शहरी इलाके में सरेआम अपराधियों द्वारा गोली चलाए जाने तथा गोली चलाने के बाद थाना के बगल से पुलिस को चुनौती देते हुए फरार होने से, यह घटना अपराधिक दृष्टिकोण से काफी सीरियस माना जा रहा है।
घटना को लेकर पुलिस भी शुरुआती दौर में काफी गंभीर गुरुवार को जिस प्रकार से नजर आई थी , जिसमें घटना की बाद स्वयं जिले के पुलिस कप्तान दीपक कुमार पांडेय वहां तत्काल तफदीस करने पहुंच गए थे। सीडीपीओ गढ़वा नीरज कुमार भी घटना के तत्काल बाद न केवल पहुंचे, बल्कि दूसरे दिन भी इस मामले को लेकर मेराल में ही सक्रिय दिखे । इससे भी अंदाज लगाया जा सकता है की फायरिंग की यह घटना पुलिस की नजरिए से भी कितना महत्वपूर्ण था। बावजूद घटना के तीन दिन बाद भी इस मामले का अब तक उदभेदन नहीं हो पाना तथा फायरिंग करने वाले अपराधियों का पकड़ा नहीं जाना पुलिस की कार्य प्रणाली को लेकर लोगों ने मन में अविश्वास बढ़ा रहा है।