
Location: Bhavnathpur
भवनाथपुर। भवनाथपुर विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक एवं भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष भानु प्रताप शाही ने राज्यपाल को पत्र सौंपते हुए पलामू प्रमंडल में क्षेत्रीय भाषा के नाम पर राज्य सरकार द्वारा भेदभाव किए जाने का आरोप लगाया है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि राज्य सरकार भाषा के आधार पर लगातार पलामू प्रमंडल के साथ भेदभाव कर रही है और इसकी नीति में राजनीतिक पूर्वाग्रह साफ झलकता है।
शाही ने कहा कि पलामू प्रमंडल में प्रतियोगी परीक्षाओं के क्षेत्रीय भाषा विकल्पों में सदियों से प्रचलित मगही और भोजपुरी को शामिल नहीं किया गया है, जबकि कुड़ुख और नागपुरी जैसी भाषाओं को शामिल किया गया है। उन्होंने इसे सरकार का तुगलकी फैसला बताते हुए कहा कि इससे लाखों युवाओं के भविष्य पर संकट खड़ा हो गया है और प्रमंडल की एक बड़ी आबादी प्रभावित होगी।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि पलामू, अविभाजित बिहार के पुराने जिलों में से एक है, जिसका गठन 1 जनवरी 1982 को हुआ था। इसके बाद 1 अप्रैल 1991 को गढ़वा को अलग जिला और 3 मई 1992 को पलामू को प्रमंडल का दर्जा मिला। क्षेत्र में सदियों से मगही और भोजपुरी बोली जाती रही है, और इन्हीं भाषाओं में पढ़ाई-लिखाई भी होती रही है।
उन्होंने राज्यपाल से मांग की है कि सरकार द्वारा पलामू प्रमंडल में लागू की जा रही कुड़ुख और नागपुरी भाषाओं को तत्काल निरस्त किया जाए और क्षेत्र की प्रमुख भाषाएं मगही व भोजपुरी को क्षेत्रीय भाषा के रूप में मान्यता दी जाए।
ज्ञापन सौंपने वाले भाजपा शिष्टमंडल में प्रदेश महामंत्री एवं राज्यसभा सांसद आदित्य प्रसाद और वरिष्ठ नेता बिरंची नारायण भी शामिल थे।