
Location: कांडी
कांडी (प्रतिनिधि): राजकीय कृत मध्य विद्यालय, सुंडीपुर में अनियमितताओं का बोलबाला है। स्कूल प्रशासन की लापरवाही के कारण बच्चों की शिक्षा पर बुरा असर पड़ रहा है, लेकिन अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं।
यह विद्यालय प्रखंड मुख्यालय से लगभग 8 किलोमीटर दूर स्थित है, जहां ग्रामीण गरीब परिवारों के बच्चे शिक्षा ग्रहण करने आते हैं। लेकिन यहां शिक्षकों की गैर-जिम्मेदाराना हरकतें शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त कर रही हैं। स्थानीय लोगों और छात्रों के अनुसार, शिक्षक केवल बायोमेट्रिक हाजिरी लगाकर चले जाते हैं, जिससे कक्षाएं प्रभावित हो रही हैं।
शिक्षा की अव्यवस्था:
विद्यालय के छात्रों ने बताया कि शिक्षक नियमित रूप से समय पर स्कूल नहीं आते, और जब आते भी हैं, तो उपस्थिति दर्ज कर तुरंत चले जाते हैं। इस लापरवाही का असर यह है कि कई बच्चे स्कूल यूनिफॉर्म में सड़क पर घूमते नजर आते हैं, जिससे उनकी सुरक्षा पर भी खतरा बना रहता है। स्कूल के पास से मुख्य सड़क गुजरती है, जहां वाहनों की आवाजाही बनी रहती है, जिससे किसी दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
विद्यालय प्रशासन पर गंभीर आरोप:
स्थानीय पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि नीरज सिंह ने बताया कि विद्यालय में व्याप्त अव्यवस्था और भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए कई बार प्रयास किए गए, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। उन्होंने आरोप लगाया कि स्कूल में शिक्षकों की मनमानी चरम पर है और प्राचार्य की कोई पकड़ नहीं है। उनका कहना है कि विद्यालय में प्रबंधन समिति का चुनाव हुए एक महीना बीत चुका है, लेकिन अब तक समिति सक्रिय नहीं हो पाई है।
मिड-डे मील में भी अनियमितता:
मुखिया प्रतिनिधि ने बताया कि विद्यालय में मिलने वाले मिड-डे मील में भी बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हो रही है। रसोइयों द्वारा बच्चों के भोजन का एक हिस्सा घर ले जाने की शिकायतें मिली हैं, जिससे बच्चों को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पा रहा है।
प्रशासन की कार्रवाई:
जब इस मामले में प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी से सवाल किया गया, तो उन्होंने विद्यालय प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई। हालांकि, अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। स्थानीय लोगों और अभिभावकों ने मांग की है कि शिक्षकों का स्थानांतरण कर नए शिक्षकों की नियुक्ति की जाए, ताकि विद्यालय की स्थिति में सुधार हो सके।
सरकार और प्रशासन कब देगा ध्यान?
विद्यालय की स्थिति चिंताजनक है। ऐसे में सवाल उठता है कि शिक्षा विभाग कब तक मूकदर्शक बना रहेगा? यदि जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो बच्चों का भविष्य अंधकार में चला जाएगा।