
रांची। घरेलू कामकाज की वजह से आज मैं खबरों की दुनिया से बहुत देर तक अलग रहा। 12 बजे के बाद ही खबरों की दुनिया से जुड़ सका। पहली खबर गढ़वा के पूर्व विधायक युगल किशोर पांडे के निधन की मिली। मन व्यथित हो गया। फिर उनके बारे में सोचने लगा। कितने अच्छे इंसान थे। सरल व्यक्तित्व, मिलनसार व मृदुभाषी।पारिवारिक मूल्य और संस्कार कूट-कूट कर भरा हुआ। राजनीति में अब ऐसे लोग कहां मिलते हैं। उनके निधन के साथ ही राजनीति में एक सुचिता का अंत भी हो गया।
पिछले कई वर्षों से मेरी उनसे मुलाकात और बात नहीं हुई थी। वह भी बहुत सक्रिय नहीं रह गए थे। उम्र भी हो गई थी। राजनीति में काफी उतार चढ़ा हुआ, लेकिन उन्होंने कभी कांग्रेस से नाता नहीं तोड़ा। जीवन भर कांग्रेसी ही बने रहे।
युगल जी जब राजनीति में सक्रिय थे और उन दिनों मैं भी गढ़वा में पत्रकारिता करता था तो उनसे अक्सर बातचीत और मिलना जुलना होता था। मिलने जुलने का केंद्र चिनिया मोड़ स्थित सूरत पांडे डिग्री कॉलेज होता था। यहां कॉलेज के कई साथी भी मिल जाते थे। फिर युगल जी के आने की सूचना के बाद उनको जानने वाले कई लोग पहुंच जाते थे । आसपास की खबर भी उन लोगों से मिल जाती थी। घंटों बैठे रहते थे। राजनीति पर, समाज पर, परिवार, शिक्षा पर सभी मुद्दों पर बात होती थी। वह गढ़वा के विकास को लेकर चिंतित भी रहते थे। कभी उनके मुंह से मैंने ओछी बात नहीं सुनी। राजनीतिक विरोधियों की आलोचना नहीं करते थे। यदि आलोचना करते भी तो एक मर्यादा और गरिमा के साथ। आज की राजनीति यह सब कहां देखने को मिलता है।
आज यदि आप राजनीतिक विरोधी हैं तो फिर लोग कच्चा चिट्ठा लेकर बैठ जाएंगे और बहुत कुछ कहेंगे। खबरें छापने और प्रचारित प्रसारित करने को कहेंगे। लेकिन युगल जी ने कभी ऐसा नहीं कहा। शायद वह ऐसा सोचते भी नहीं थे।
युगल किशोर पांडे के देवलोक गमन के साथ की राजनीति में एक अच्छे इंसान का अंत हो गया। गढ़वा_पलामू में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति मिले जो पांडे जी के विरोध में कुछ बोल सके। उन्होंने किसी को यह बोलने का अवसर ही नहीं दिया। यह उनके पारिवारिक मूल्य और संस्कार थे। गढ़वा में उनके द्वारा स्थापित सूरत पांडे डिग्री कॉलेज ने शिक्षा के साथ-साथ रोजगार के क्षेत्र में भी महती भूमिका निभाई है । गढ़वा जिले में सूरज पांडे डिग्री कॉलेज की एक पहचान बन चुकी है।
।। सादर नमन।।