
रांची: पलामू प्रमंडल में नागपुरी और व कुडूख भाषा को क्षेत्रीय भाषा के रूप में राज्य सरकार द्वारा मान्यता दिए जाने के बाद एक बार फिर से विवाद गहरा हो गया है। राज्य सरकार के फैसले से युवाओं में आक्रोश व्याप्त है। भाजपा ने इस मुद्दे को उठाकर माहौल गर्म कर दिया है। पूर्व विधायक भानु प्रताप शाही इस मुद्दे को लेकर काफी मुखर हैं। भाषा विवाद को लेकर भाजपा की ओर से राजपाल को ज्ञापन दिया गया है। यह मांग की गई है कि सरकार पलामू प्रमंडल में बोलने जाने वाली भाषा मगही और भोजपुरी को शामिल करें और नागपुरी और कुडूख को हटाए। पलामू प्रमंडल में मगही और भोजपुरी भाषा बोली जाती है। यहां किसी क्षेत्र में नागपुरी या कुडूख नहीं बोली जाती है। इस प्रमंडल में रहने वाले आदिवासी भी नागपुरी या कुडूख नहीं बोलते हैं। फिर भी पता नहीं सरकार ने कैसे नागपुरी और कुडूख को क्षेत्रीय भाषा का दर्जा दिया है। अधिकारी कैसे सरकार को गुमराह करते हैं इससे अंदाजा लगाया जा सकता है। विभिन्न जिलों में क्षेत्रीय भाषा की विसंगति को लेकर करीब दो-तीन साल पहले पूरे राज्य में युवाओं का बड़ा आंदोलन हुआ था। इस आंदोलन ने हेमंत सोरेन सरकार को परेशानी में डाल दिया था। जय राम महतो इसी भाषा विवाद से उत्पन्न हुए युवा नेता हैं। सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ हुए उग्र विरोध के कारण जयराम महतो राज्य में युवाओं के बड़े नेता बन गए। अब वह डुमरी से विधायक हैं। यदि भाषा विवाद उत्पन्न नहीं हुआ होता तो शायद जयराम महतो आज यहां तक नहीं पहुंचते। जयराम महतो को नेता बनाने में हेमंत सोरेन सरकार के अधिकारियों का बड़ा हाथ हैं। तब सरकार भी युवाओं के आंदोलन को नजरअंदाज कर इसे दबा रही थी। अब फिर यह मामला गर्म हो चुका है। पलामू प्रमंडल में भाषा विवाद को लेकर आंदोलन की पृष्ठभूमि तैयार हो रही है। सरकार ने यदि समय रहते इस विवाद को नहीं सुलझाया तो संभव है फिर कोई बड़ा आंदोलन हो और जय राम महतो जैसा फिर कोई नेता उभर कर सामने आए।