Location: Garhwa
[30/5, 10:44 am] vivekanad 101:
यार्ड का सपना कब होगा साकार
डंपिंग यार्ड का सपना कब होगा साकार !
गढ़वा नगर परिषद के नाम पर राजनीति चाहे जितना भी चमका ले। मगर इस हकीकत से मुंह नहीं फेरा जा सकता है कि गढ़वा नगर पंचायत से तरक्की कर भले ही नगर परिषद का टैग पा गया। मगर एक अदद डंपिंग यार्ड के लिए तरस रहा है।
ऐसा नहीं कि जनप्रतिनिधियों ने डंपिंग यार्ड का सपना नहीं दिखाया ।सपना तो परिषद और राज्य सरकार वालों ने ऐसा दिखाया जैसे डंपिंग यार्ड नहीं गढ़वा के लोगों को कचरे से बिजली उर्वरक जैसी क्या-क्या चीज नहीं दिला देंगे ।मगर अब तक डंपिंग यार्ड ही गढ़वा हासिल नहीं कर पाया है।राज्य से लेकर नगर परिषद की सरकार बदल गई ।पर नगर परिषद का तस्वीर कचरे की ढेर की दुर्गंध की नहीं बदली। खैर है शहर की दानरों और सरस्वती नदी की जिसे अतिक्रमण के नियत से ही परंतु अपनी सुविधा अनुसार डंपिंग यार्ड की तरह गढ़वा के दोनों लाइफ लाइन नदियों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
भवनाथपुर टाउनशिप में पावरप्लांट बना,और ना ही अमृतसर कोलकाता कॉरिडोर
राजनेताओं के बारे में पहले कहा जाता था कि रंग बदलने में माहिर होते हैं। पर अब तो बात यहां तक पहुंच गई है कि राजनेता इतने रंग बदलते हैं की गिरगिट भी शरमा जाता है।
झारखंड का मिनी बोकारो कही जानेवाली भवनाथपुर का टाउनशिव उजड़ गया ।उसे नए तरीके से बसांने के लिए अपनी अपनी राजनीतिक चमकाने के उद्देश्य से नेताओं ने खुब इस्तेमाल किया पर परिणाम अब तक वही ढ़ाक का तीन पात ही साबित हुआ है।
इसमें यहां के लोगों को दोष नहीं दिया जा सकता भवनाथपुर के मतदाताओं ने तो इतना समर्थन दिया की एक नेताजी का राजनीति ही एकीकृत भवनाथपुर पर अभी तक टिकी हुई है। विधायक से लेकर मंत्री तक का दर्जा भवनाथपुर ने दिलाया। तीन-तीन मर्तबा एकीकृत भवनाथपुर प्रखंड (खरौंधी,के तार तथा भवनाथपुर)के मतदाताओं के प्रचंड समर्थन के बल पर विधानसभा की दहलीज दिखलाया, बावजूद भवनाथपुर टाउनशिप के दिन नहीं बहूरे।
याद कीजिए तत्कालीन हेमंत सोरेन की जब इसके पूर्व सरकार थी। रघुवर दास से पहले तो भवनाथपुर की तत्कालीन विधायक ने आनन -फानन में टाउनशिप में पावर प्लांट बैठाने का ऐसा सपना दिखलाया मानों इस सपना को हकीकत में बदलने में अब देर नहीं लगेगी पर जो हुआ आपके सामने है। जिस पावर प्लांट के नाम पर चहार दीवारी निर्माण की आधारशिला तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बड़े ही शान शौकत के साथ रखवा गया था, वह भी पूरा नहीं हो पाया है , पावर प्लांट बैठाने की बात तो दूर की है।
हमाम में सभी नंगे हैं हेमंत की सरकार दोबारा आई पर पावर प्लांट का सपना सपना ही बनकर रह गया। यह बात दीगर है की भवनाथपुर के तत्कालीन विधायक आनंत प्रताप देव भले ही चुनाव हार गए पर हेमंत सोरेन की इस कार्यकाल में भी झामुमो का ही झंडा थाम्हे अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनिते फुले नहीं समाते हैं ।
अभी वाले विधायक जी भी कहां पीछे रहने वाले हैं इन्होंने भी भवनाथपुर टाउनशिप के डेवलपमेंट को लेकर सीमेंट फैक्ट्री खुलवाने से लेकर खूब जरुरत के अनुसार अपनी राजनीति चमकाने के लिए चर्चा की ।जब-जब चुनाव आया तब तक टाउनशिप को बसाने और पुराने दिन वापस लाने का सपना नेताओं ने मतदाताओं को दिखलाया ।पर हकीकत जान लीजिए पिछले दिनों भवनाथपुर में अमृतसर कोलकाता कॉरिडोर का प्रस्ताव आया था ।उस प्रस्ताव पर केंद्र की ओर से स्वीकृति दिलाने में वर्तमान सांसद बीडी राम तो नाकाम साबित हुए ही, इन्हीं के पार्टी के बिधायक जी की भी इसमें या तो कुछ भी नहीं चली यो यु कहें कि उन्होंने अपने स्तर से गंभीर प्रयास नहीं किया,यह तो वही जानें । हां 2024 के लोकसभा चुनाव में राज्य सरकार पर इसके विफलता का ठीकरा फोड़ने में यह कहते हुए भाजपाई पीछे नहीं रहे कि झारखंड सरकार ने अपने दायित्व का निर्वहन नहीं किया वरना अमृतसर कोलकाता कॉरिडोर के लिए भावनथपुर टाउनशिप का चयन हो जाता और यह इलाका फिर से गुलजार हो जाता। यहां यह बता दे की अमृतसर कोलकाता कॉरिडोर का प्रस्ताव भवनाथपुर के साथ-साथ बोकारो का भी बना है, अभी तक स्वीकृत नहीं मिली है ।यदि ईमानदारी से एक जुट होकर प्रयास हो तो संभव है कि अभी भी बात बन सकती है। पर आने वाला वक्त तय करेगा की इस बार के चुनाव में आपको टाउनशिप का जो मुद्दे 2024 लोकसभा चुनाव में उठा हैं , वह चुनाव परिणाम के बाद भी नेताओं के जेहन में रहेगा अथवा पूर्व की भांति चुनावी भाषणबाजी तक सिमट कर रह जयेगा । इसके लिए आने वाले वक्त का इंतजार करना पड़ेगा। परंतु इस वास्तविकता से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है कि अपने-अपने हिसाब से एनडीए गठबंधन हो अथवा इंडिया गठबंधन के नेताओं ने भाषण बाजी में 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान स्तेमाल किया है , यहां तक की तेजस्वी यादव ने भी अपने चुनावी सभा मंच से भवनाथपुर में उद्योग उद्योग धंधा स्थापित करने का आश्वासन दिया है। यदि राजनेता एक दूसरे के धोती खोलने के लिए ही भवनाथपुर टाउनशिप का इस्तेमाल करते रहेंगे तो झारखंड का मिनी बोकारो उजड़े चमन की कहानी बनकर ही रह जाएगा।