
Location: Garhwa
गढ़वा विधानसभा सीट पर छह माह पहले भाजपा प्रत्याशी सत्येंद्र तिवारी ने पूर्व मंत्री और झामुमो उम्मीदवार मिथिलेश ठाकुर को करारी शिकस्त दी थी। लेकिन चुनावी हार के इतने समय बाद भी झामुमो की बेचैनी कम होती नहीं दिख रही है। बीते शुक्रवार को झामुमो ने “लापता विधायक खोजो” अभियान चलाकर गढ़वा विधायक पर छह गंभीर आरोप लगाकर साफ कर दिया कि पार्टी अब भी हार को पचा नहीं पा रही है।
झामुमो की ओर से लगाए गए आरोपों में कमीशनखोरी, भाई-भतीजावाद, जनहित की उपेक्षा, जनता और कार्यकर्ताओं से दूरी जैसी बातें प्रमुख रहीं। कार्यक्रम में पार्टी नेताओं ने विधायक का छह महीने का रिपोर्ट कार्ड भी जारी किया और जनमानस में यह संदेश देने की कोशिश की कि भाजपा विधायक जनहित के बजाय निजी स्वार्थ और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं।
हालांकि इस पूरे घटनाक्रम पर भाजपा ने भी करारा पलटवार किया। भाजपा के जिला मीडिया प्रभारी रितेश चौबे ने झामुमो सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि हेमंत सरकार गांव-गांव शराब की दुकानें खोलकर युवाओं को नशे में धकेल रही है। उन्होंने इसे राज्य के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताया और कहा कि न तो शिक्षा, न स्वास्थ्य, न सड़क—कहीं भी विकास का नामो-निशान नहीं है।
भाजपा की प्रतिक्रिया यह साफ करती है कि पार्टी झामुमो के आरोपों को राजनीतिक हताशा का परिणाम मान रही है। साथ ही यह भी दर्शाता है कि भाजपा फिलहाल गढ़वा में अपने विधायक के कामकाज को लेकर पूरी तरह आश्वस्त है, जबकि झामुमो अब भी खुद को हार से बाहर नहीं निकाल सकी है।
गढ़वा में सियासी लड़ाई अब भी ठंडी नहीं हुई है। चुनावी हार के छह माह बाद भी झामुमो अपने पूर्व प्रत्याशी मिथिलेश ठाकुर के नेतृत्व में सक्रिय रूप से भाजपा विधायक को निशाने पर ले रही है। दूसरी ओर भाजपा इसे केवल एक हारी हुई मानसिकता और बौखलाहट मान रही है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि आने वाले स्थानीय निकाय या विधानसभा चुनावों में यह टकराव और तीखा हो सकता है।