
Location: पलामू
मेदिनीनगर।मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पलामू विभिन्न जिलों से प्रतिदिन सैकड़ों मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं।जिसमें काफी संख्या में विभिन्न कारणों से आग से जले मरीज भी अस्पताल में अपना इलाज के लिए पहुंचते है।यहाँ मरीजों के लिए अलग से बर्न वार्ड की सुविधा नहीं होने के कारण उन्हें अन्य मरीजों के साथ ही रहना पड़ता है।जिसके कारण ऐसे मरीजों में संक्रमण का खतरा हमेशा बना रहता है। जले हुए मरीजों के इलाज में मुख्य समस्या संक्रमण की होती है। सही इलाज होने के बावजूद संक्रमण का खतरा जले हुए मरीजों के लिए जानलेवा बन सकता है। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग अस्पताल में बर्न वार्ड अलग से बनाने की दिशा में काम करने के प्रति सुस्त बने हुवे हैं। यह सुस्ती और लापरवाही मरीजों के लिए जान पर आफत बन रही है।जबकि अस्पताल परिसर में बना बर्न वार्ड सिर्फ नाम का ही है और यहां किसी भी प्रकार की सुविधा उपलब्ध नहीं है।
संक्रमण का रहता है खतरा।
बताते चले की 40 से 50 फीसदी व उससे अधिक जले हुए मरीजों में रोग से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। जिसके कारण संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति में विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है लेकिन अस्पताल में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है।जिसके कारण मरीज के परिजन अपने मरीज की जान बचाने के लिए निजी नर्सिंग होम का सहारा ले रहे है।।ऐसे मरीजों के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस विशेष वार्ड की आवश्यकता होती है।वार्ड ऐसा होना चाहिए जहां किसी भी प्रकार की गंदगी नहीं हो।अस्पताल में लापरवाही यह है की जले हुए मरीजों को अन्य सामान्य वार्ड में ही दुसरे मरीजों के साथ रखा जाता है। इससे झुलसे हुए मरीजों के साथ ही अन्य सामान्य मरीजों के लिए भी खतरा बना रहता है। जले हुए मरीजों के लिए अलग से बर्न वार्ड नहीं होने के कारण वार्ड में हमेशा संक्रमण फैलने का खतरा मंडराता रहता है।अस्पताल में सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण मरीजों को निजी नर्सिंग होम का सहारा लेना पड़ता है। आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को निजी नर्सिंग होम में इलाज कराना काफी मंहगा पड़ता है।जबकि राज्य के सभी अस्पतालों में आग से होने वाली संभावित दुर्घटनाओं में हताहतों के उपचार के लिए समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है ।बर्न वार्ड को सक्रिय करने के साथ ही सभी आवश्यक दवाओं, उपकरणों की व्यवस्था सदर अस्पताल से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है। उसके बाद भी यहां पर भर्ती मरीजों को बाहर से दवा लेना मजबूरी बन गया है।