Location: कांडी
कांडी
कांडी प्रखंड क्षेत्र के चौबे मझिगावां पंचायत में कालीकरण सड़क निर्माण के तहत केरवा नदी स्थित पुलिया के किनारे बनाए जा रहे पारा पेट को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। नंदनी कंस्ट्रक्शन द्वारा किए जा रहे इस निर्माण कार्य में घटिया ईंट और खराब गुणवत्ता वाले बालू के उपयोग का आरोप लगाते हुए ग्रामीणों ने कहा कि यह पूरा काम सुरक्षा मानकों के साथ खिलवाड़ है।
कांडी–केतार फेज-1 के तहत आज़ाद नगर से मुशहरवा डेरा होते हुए कोल्ह रोड तक कालीकरण सड़क निर्माण चल रहा है। इसी क्रम में आज़ाद नगर के पास केरवा नदी पर बनी पुलिया के किनारे पारा पेट का निर्माण किया जा रहा है। वार्ड सदस्य सुनीता देवी ने कहा कि “पारा पेट में लगाई जा रही ईंट और बालू बिल्कुल मानक पर खरी नहीं उतर रही है। ऐसे में निर्माण मजबूत नहीं हो पाएगा।”
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब विभाग द्वारा निर्धारित राशि का भुगतान पहले ही किया जा चुका है, तो कंट्रैक्टर अपने निजी खर्च से निर्माण करने की बात क्यों कह रहा है? उन्होंने कहा कि यह बात अपने आप में ही संदेह पैदा करती है और यह बेहतर होता कि ऐसा घटिया काम न किया जाता।
पंचायत की मुखिया प्रतिनिधि शंभूनाथ साह ने निर्माण पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा, “जो संरचना राहगीरों की सुरक्षा हेतु बनाई जा रही है, वही यदि कमजोर हो तो यह भविष्य में गंभीर हादसे की वजह बन सकती है।”
वहीं, जब इस मामले पर विभागीय जेई सरयू कुमार से पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि “यह निर्माण कार्य डीपीआर में शामिल नहीं है, इसलिए नंदनी कंस्ट्रक्शन अपने निजी खर्च से पारा पेट का निर्माण कर रहा है ताकि राहगीरों को सुविधा मिले।”
लेकिन ग्रामीणों ने इस दावे को हास्यास्पद और अविश्वसनीय बताया। उनका कहना है कि जब संवेदक को काम के लिए निर्धारित राशि मिलती है, तो वह अचानक 4–5 लाख रुपये अपनी जेब से खर्च क्यों करेगा? ग्रामीणों ने इसे विभाग और संवेदक की मिलीभगत बताते हुए कहा कि गुणवत्ता रहित सामग्री का प्रयोग सरकारी कार्यों में गंभीर लापरवाही और पारदर्शिता की कमी को दर्शाता है।
मौके पर उपमुखिया श्रवण पासवान, पंचायत समिति सदस्य पति सुनील यादव, मुकेश चौबे, अरविंद शर्मा, अरुण मिश्रा, हैप्पी चौबे, सुग्रीव रजवार, बाचा राम सहित कई ग्रामीण उपस्थित थे।
ग्रामीणों ने मांग की है कि निर्माण कार्य की निष्पक्ष जांच कराई जाए, दोषी संवेदक पर कार्रवाई हो तथा संबंधित विभागीय अधिकारियों की भी जवाबदेही तय की जाए।
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