Location: Garhwa
जेल से बाहर आकर हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री बनने से झारखंड की राजनीतिक में परिवर्तन
झारखंड की राजनीति में अब एक नया अध्याय जुड़ गया है । जबसे हेमंत सोरेन ने जेल से बाहर आने के बाद फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। इस घटना ने राज्य की राजनीति को एक नया मोड़ दिया है और विभिन्न राजनीतिक दलों के समीकरणों में महत्वपूर्ण बदलाव झारखंड मुक्ति मोर्चा के आंतरिक एवं विपक्षी पार्टियों में लाए हैं।
हेमंत सोरेन, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता, पिछले कुछ महीनों से जेल में थे। उन पर कई आरोप लगे थे, जिनमें भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं के मामले शामिल थे। हालांकि, अदालती कार्यवाही और जमानत मिलने के बाद वह जेल से बाहर आए और राज्यपाल के आमंत्रण पर उन्होंने मुख्यमंत्री पद से चंपई सोरेन को बेदखल करते हुए आनन-फानन में शपथ ले ली है।
हेमंत सोरेन के पुनः मुख्यमंत्री बनने से झारखंड की राजनीति में नए समीकरण बनने लगे हैं। उनकी वापसी से झामुमो और उसके गठबंधन सहयोगियों को मजबूती तो मिली है, परंतु कांग्रेस पार्टी की राजनीति में मंत्री बनने की चाहत से मुश्किल बढ़ गई है। वहीं, विपक्षी दलों में हलचल मच गई है और उन्हें नई रणनीतियाँ बनाने पर मजबूर होना पड़ा है। भाजपा चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री की कुर्सी से बेदखल करने को आदिवासी राजनीति और परिवारवाद से जोड़कर अपने हक में समीकरण तैयार करने में जुट गई है। साथ ही हेमंत को बेल मिलने को भ्रष्टाचार के आरोप से न्यायालय द्वारा दोषमुक्त नहीं किया गया है। ऐसी प्रचार कर रही है।
जहां तक झारखंड की जनता का प्रश्न है।हेमंत सोरेन की वापसी पर मिश्रित प्रतिक्रिया रही है। उनके समर्थकों ने इसे न्याय की जीत बताया है और उम्मीद जताई है कि वह राज्य के विकास के लिए नए कदम उठाएंगे। वहीं, विपक्षी दलों और कुछ सामाजिक संगठनों ने इस पर सवाल उठाए हैं और राज्य में ईमानदारी और पारदर्शिता की मांग की है।
आगे की राह हेमंत सोरेन के सामने आसान नहीं है, क्योंकि अब इनके सामने भी कई चुनौतियां हैं। उन्हें न केवल अपने ऊपर लगे आरोपों का सामना करना होगा, बल्कि राज्य की जनता के विश्वास को भी फिर से जीतना होगा। राज्य के विकास, रोजगार सृजन और भ्रष्टाचार मुक्त शासन की दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।