अवलोकन

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हेमंत सोरेन के रिहाई से विपक्षी खेमे की बड़ी बेचैनी

यह सप्ताह झारखंड की राजनीति की लिहाज से काफी महत्वपूर्ण रहा है। क्योंकि इसी सप्ताह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जेल से बाहर आए हैं।हेमंत सोरेन की जेल से रिहाई से झारखंड की राजनीति पर भविष्य में क्या संभावनाएं है आज हम इसी का यहां अवलोकन करेंगे। क्योंकि हेमंत सोरेन के जेल से बाहर आते ही विपक्षी खेमे की बेचैनी बढ़ गई है।

दरअसल झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्रीऔर झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन की जेल से रिहाई ने राज्य की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। सोरेन की रिहाई का प्रभाव केवल वर्तमान राजनीतिक समीकरणों पर ही नहीं, बल्कि राज्य की भविष्य की राजनीति पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है। क्योंकि जिस प्रकार से हेमंत सोरेन के जेल से बाहर निकलते ही झारखंड में झामुमो की ओर से जश्न मनाया गया। वह राज्य के राजनीति में भविष्य में खासा प्रभाव डाल सकता है।

हेमंत सोरेन, झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के प्रमुख नेता, को भ्रष्टाचार के आरोपों के तहत गिरफ्तार किया गया था। उनकी गिरफ्तारी ने विपक्षी दलों को एकजुट होने का मौका दिया था, और भाजपा ने इस मौके का फायदा उठाकर राज्य में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की थी। हालांकि, सोरेन की गिरफ्तारी ने जेएमएम कार्यकर्ताओं और समर्थकों में नया जोश भर दिया था। लोकसभा चुनाव में इसका प्रभाव भी देखा गया, विशेषकर आदिवासी वर्ग में हेमंत सोरेन के जेल में जाने से खास नाराजगी दिखी। परिणाम रहा कि लोकसभा के झारखंड के सभी आदिवासियों के लिए सुरक्षित पांच सीटों पर इंडिया गठबंधन ने कब्जा जमा लिया ।

हेमंत सोरेन की रिहाई के बाद, जेएमएम का पुनर्गठन और सशक्तिकरण संभावित है। पार्टी कार्यकर्ताओं में नया जोश और ऊर्जा का संचार होगा, जिससे पार्टी आगामी विधानसभा चुनावों के लिए और भी मजबूती से तैयार हो सकती है। इतना ही नहीं सोरेन की रिहाई भाजपा के लिए एक नई चुनौती साबित हो सकती है। विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस और राजद, के साथ गठबंधन की संभावनाएं बढ़ सकती हैं। यह गठबंधन आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ एक मजबूत मोर्चा हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झारखंड में बना सकता है।

हेमंत सोरेन की रिहाई से जनता में उनकी लोकप्रियता बढ़ा सकती है। क्योंकि उनके जेल से निकलने के बाद समर्थकों द्वारा रैली और जुलूस का आयोजन किया जा रहा है, जो सोरेन के प्रति समर्थन और सहानुभूति को बढ़ावा देगा। यह समर्थन आगामी चुनावों में वोटों में भी तब्दील हो सकता है।

सोरेन की रिहाई से झारखंड की राजनीतिक स्थिरता को बल मिलेगा। लंबे समय से चल रहे राजनीतिक अस्थिरता और उथल-पुथल का अंत हो सकता है, जिससे राज्य में विकास कार्यों की रफ्तार भी बढ़ सकती है। इसका संकेत सरकार द्वारा फटाफट लिए जा रहे फैसले से मिलने भी लगा है।

सोरेन की सरकार द्वारा शुरू की गई विकास योजनाओं का पुनर्संचालन संभव है। उनकी रिहाई से राज्य में अधूरे पड़े विकास कार्यों को भी गति मिल सकती है।

झारखंड का ही नहीं हेमंत सोरेन की रिहाई से राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रभाव पड़ सकता है। अन्य राज्यों में भी क्षेत्रीय दलों के लिए यह एक प्रेरणा स्रोत हो सकता है, जिससे वे अपने राज्य के लिए अधिक मजबूत और संगठित हो सकते हैं।

कुल मिलाकर यह कहना अन्यथा नहीं होगा कि हेमंत सोरेन की जेल से रिहाई ने झारखंड की राजनीति में एक नई दिशा की ओर संकेत दिए हैं। उनके नेतृत्व में जेएमएम का पुनर्गठन और विपक्षी दलों का संभावित गठबंधन राज्य की राजनीति को नई दिशा में ले जा सकता है। इस रिहाई का दूरगामी प्रभाव राज्य की राजनीतिक स्थिरता, विकास योजनाओं और राष्ट्रीय राजनीति पर भी पड़ सकता है।

झारखंड की जनता और राजनीतिक विश्लेषकों की नजर अब सोरेन के अगले कदमों पर है, जो राज्य के भविष्य की दिशा को तय करेगा। साथ ही हेमंत सोरेन के जेल से बाहर आते हैं कई सवाल भी उठ रहे है ।मसलन क्या हेमंत सोरेन चंपई सोरेन को हटाकर पुनः मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अभी ही बैठेंगे अथवा तीन माह बाद ही में होने वाले विधानसभा चुनाव तक की प्रतीक्षा करेंगे। आने वाले कुछ ही दिनों में यह तस्वीर भी साफ हो जाएगा। इसके अतिरिक्त पार्टी के अंदर से ही तो उन्हें कोई चुनौती नहीं मिलेगी ? क्योंकि परिवार में सीता सोरेन की पार्टी छोड़ने के बाद बिखराव हो चुका है ,इसके अतिरिक्त लोबिन हेंब्रम एवं चमरा लिंडा जैसे नेताओं का लोकसभा चुनाव में पार्टी के खिलाफ उतरना एवं चंपा चंपई सोरेन जैसे नेताओं की महत्वाकांक्षा जैसी बदले राजनीति परिस्थिति से निपटने की चुनौती भी पार करने की हेमंत के सामने है ,जिसे पार कर वे खुद में निखार ला सकते हैं।

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  • Vivekanand Upadhyay

    Location: Garhwa Vivekanand Updhyay is the Chief editor in AapKiKhabar news channel operating from Garhwa.

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