
Location: Shree banshidhar nagar
श्री बंशीधर नगर (गढ़वा) – राजकीय श्री बंशीधर महोत्सव में हुई कुर्सी तोड़फोड़ की घटना अब विवाद का विषय बन गई है। प्रशासन ने 10 नामजद और 30-40 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, जिनमें कई नाबालिग भी शामिल हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या केवल दर्शकों को ही दोषी ठहराया जाना चाहिए, या फिर उन्हें उकसाने वालों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए?
महोत्सव के दौरान मंच पर मौजूद कलाकार पूजा चटर्जी का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वे दर्शकों को कुर्सियां तोड़ने के लिए उकसाते हुए कह रही हैं— “कुर्सी टूटना सक्सेसफुल इवेंट माना जाता है। अभी इंज्वॉय कीजिए, बाद में तोड़ दीजिएगा।” इसके तुरंत बाद दर्शकों ने कुर्सियां तोड़नी शुरू कर दीं।
अब सवाल यह उठता है कि जब दर्शकों के खिलाफ कार्रवाई की गई, तो कलाकार और आयोजन समिति को दोषमुक्त क्यों रखा गया? न सिर्फ उन्हें बख्शा गया, बल्कि सम्मानित भी किया गया।
प्रशासन की कार्रवाई पर उठे सवाल
विशेषज्ञों का मानना है कि कार्रवाई से पहले यह जांच की जानी चाहिए थी कि क्या दर्शक पहले से तोड़फोड़ की मंशा से आए थे या उन्हें उकसाया गया था। यदि निष्पक्ष जांच होती, तो एफआईआर में केवल दर्शकों के बजाय कलाकार और आयोजकों के नाम भी शामिल किए जाते।
एक ओर जहां नगर ऊंटारी थाने में नाबालिगों समेत 10 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया, वहीं दूसरी ओर पूजा चटर्जी और इवेंट कंपनी को किसी भी तरह की सजा नहीं दी गई, बल्कि उन्हें सम्मानित कर मोटी रकम दी गई। इससे प्रशासन की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
क्या कानून सबके लिए समान नहीं होना चाहिए?
इस घटना ने महोत्सव की गरिमा को ठेस पहुंचाई है और प्रशासन की दोहरी नीति पर सवालिया निशान लगा दिया है। अब देखना यह होगा कि क्या प्रशासन इस मामले में पुनर्विचार करेगा या फिर यह विवाद यूं ही दबकर रह जाएगा?