
Location: Garhwa
गढ़वा: इस्लामी कैलेंडर का आखिरी महीना जिल-हिज्जा शुरू हो गया है। इसी महीने की 10 तारीख को दुनिया भर के मुसलमान कुर्बानी करते हैं। इस मौके पर मुफ्ती रौशन रज़ा मिस्बाही अज़हरी ने मुसलमानों से कुर्बानी से जुड़ी इस्लामी हिदायतों और साफ-सफाई के नियमों का पालन करने की अपील की है।
उन्होंने कहा कि कुर्बानी इस्लाम में एक माली इबादत है, जो हर मुसलमान पर फर्ज नहीं बल्कि सिर्फ उन पर वाजिब है जो मालिक-ए-निसाब हैं। यानी जिनके पास करीब 55-60 हजार रुपये जरूरत से ज्यादा हैं। अगर कोई हैसियत होते हुए भी कुर्बानी नहीं करता है तो वह गुनहगार होगा।
उन्होंने कहा कि कुरान और हदीस दोनों में कुर्बानी की अहमियत बताई गई है। इसका मकसद केवल गोश्त खाना नहीं, बल्कि अल्लाह की रज़ामंदी हासिल करना है। कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटने की हिदायत है, जिसमें एक हिस्सा गरीबों के लिए होना चाहिए।
मुफ्ती ने कहा कि कुर्बानी के दौरान जानवर को सड़क पर या सार्वजनिक स्थान पर ज़बह न करें, पर्दे के अंदर करें और खून सड़क पर न बहाएं। किसी ऐसे जानवर की कुर्बानी न करें जिससे समाज में तनाव या अशांति फैलने का खतरा हो। जानवर की ओझड़ी या गंदगी को खुले में न फेंकें, उसे दफन करें। साथ ही कुर्बानी का गोश्त लेकर इधर-उधर न घूमें, जिससे कोई विवाद न हो।
मुफ्ती रौशन रज़ा ने सभी से अपील की कि कुर्बानी पूरी श्रद्धा और सलीके से की जाए ताकि अल्लाह की रज़ा हासिल हो सके।