Location: Garhwa
गढ़वा जिले में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों के बाद प्रशासनिक गतिविधियों में अचानक तेजी देखने को मिली है। भले ही झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर गढ़वा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हार गए हों, लेकिन प्रशासन पर उनका प्रभाव स्पष्ट रूप से नजर आ रहा है।
दुर्गा पूजा विवाद और सोनू केसरी की गिरफ्तारी
गढ़वा सदर थाना क्षेत्र के के लखना गांव में दुर्गा पूजा विसर्जन विवाद के आरोपी सोनू केसरी की गिरफ्तारी इस संदर्भ में खास है। चुनाव के पुर्व पुलिस की सुस्ती और चुनाव परिणाम के बाद अचानक गिरफ्तारी में आई तेजी पर सवाल उठ रहे हैं। सोनू केसरी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई जरूरी थी, लेकिन चुनाव परिणाम के तुरंत बाद की गई गिरफ्तारी प्रशासनिक दबाव की ओर इशारा करती है।
इस मामले में दोनों पक्षों से प्राथमिकी दर्ज हुई थी, लेकिन पुलिस की एकतरफा तत्परता ने प्रशासन की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना कहीं न कहीं राजनीतिक दबाव की ओर संकेत करती है।
नगर परिषद और विकास योजनाओं की घोषणाएं
चुनाव परिणाम के बाद नगर परिषद, गढ़वा के कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा दानरो नदी पर रिवर फ्रंट निर्माण जैसी योजनाओं की घोषणा ने भी सवाल खड़े किए हैं। यह संदेश देने की कोशिश की गई कि विकास कार्य पहले ही तय हो चुके थे, लेकिन चुनाव हारने के तुरंत बाद इन योजनाओं का प्रचार प्रशासनिक प्राथमिकताओं पर शक पैदा करता है।
चौकीदार नियुक्ति पत्र वितरण
गढ़वा जिले में चौकीदारों की नियुक्ति प्रक्रिया चुनाव से पहले ही चल रही थी। सूत्रों के अनुसार, पूर्व मंत्री मिथिलेश ठाकुर द्वारा नियुक्ति पत्र वितरण की योजना थी, लेकिन चुनाव आचार संहिता लागू होने के कारण यह संभव नहीं हो सका। चुनाव परिणाम के बाद, नए विधायकों के शपथ लेने से पहले ही नियुक्ति पत्रों का आनन फानन में वितरण करना प्रशासनिक प्राथमिकताओं को लेकर संदेह पैदा करता है। खासकर तब जबकि झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में ही सरकार बन गई है और भवनाथपुर से झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक अनंत प्रताप देव चुनाव जीत चुके हैं, श्री देव को मंत्री बननै की भी चर्चा है ,बावजूद प्रशासनिक तत्परता समझ से परे है।
आगे की स्थिति
नवनिर्वाचित विधायक सत्येंद्र नाथ तिवारी (बीजेपी) और प्रशासन के बीच टकराव की संभावना जताई जा रही है। गढ़वा जिले में प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर राजनीतिक प्रभाव साफ झलकता है, जिससे आने वाले दिनों में राजनीतिक माहौल गर्मा सकता है।
विश्लेषण:
गढ़वा विधानसभा क्षेत्र में चुनाव के बाद प्रशासनिक गतिविधियों में आई तेजी से यह सवाल खड़ा होता है कि क्या प्रशासन पूरी तरह से राजनीतिक प्रभाव से मुक्त है। यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा विधायक श्री तिवारी और स्थानीय प्रशासन के बीच संबंध कैसे बनते हैं।