
Location: Bhavnathpur
कहते हैं, “जिसकी जैसी सोच, वैसी ही उसकी
आपकी दी गई कहानी को थोड़ा और साफ़, प्रवाहपूर्ण और बेहतर प्रस्तुत करने योग्य शैली में संपादित कर रहा हूं:
भवनाथपुर (गढ़वा) : सोच का असर — एक छोटी सी प्रेरणादायक कहानी
कहते हैं, “जिसकी जैसी सोच, वैसी ही उसकी दुनिया होती है। कोई पक्षियों के लिए बंदूक उठाता है, तो कोई उनके लिए पानी रखता है।” भवनाथपुर में रविवार को एक छोटी-सी घटना ने इस कथन को सजीव कर दिया।
भवनाथपुर के बुका मोड़ स्थित मुख्य पथ के पास सुरेश रावत का एक छोटा-सा जनरल स्टोर है। दोपहर का समय था। दुकान के पीछे लगी वॉलेट की जाली से कुछ असामान्य आवाजें आ रही थीं। सुरेश ने ध्यान दिया तो देखा कि दो नन्हीं मैना पक्षियां पतली डोरी में बुरी तरह उलझ गई थीं। वे डर और दर्द से तड़पती हुई चीख रही थीं।
अक्सर लोग ऐसे दृश्य को अनदेखा कर आगे बढ़ जाते हैं, लेकिन सुरेश रावत ने कुछ और ही ठाना। बिना देर किए उन्होंने एक बोल्ड (कटर) उठाया और डोरी को काटने का प्रयास शुरू कर दिया। धैर्य और सावधानी से, धीरे-धीरे उन्होंने मैना के पंखों और पंजों को डोरी से अलग किया। यह काम आसान नहीं था; कई बार लगा कि कहीं पक्षी और अधिक न फंस जाएं या चोटिल न हो जाएं। लेकिन सुरेश ने हार नहीं मानी।
लगभग आधे घंटे की मेहनत के बाद दोनों मैना आज़ाद हो गईं। सुरेश ने उन्हें पानी पिलाया, सहलाया और जब वे थोड़ी संभलीं, तो खुले आसमान में उड़ने के लिए छोड़ दिया।
यह छोटी-सी घटना हमें याद दिलाती है कि करुणा और दया आज भी जीवित हैं। वास्तव में, हमारी सोच ही हमारी असली पहचान बनाती है।