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Location: कांडी
कांडी (प्रतिनिधि): गढ़वा जिले के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सतबहिनी झरना तीर्थ में श्रीराम चरित मानस महायज्ञ का 25वां अधिवेशन एवं रजत जयंती समारोह पूरे भक्तिभाव से जारी है। यज्ञ मंडप से वैदिक मंत्रों का उच्चारण गूंज रहा है, जबकि समीपस्थ कुटिया में संगीतमय शैली में रामचरितमानस के दोहे और चौपाइयों का सस्वर वाचन हो रहा है।
श्रीमद् भागवत महापुराण और रामचरितमानस पर प्रवचन
प्रत्येक दिन दोपहर से शाम तक चल रहे ज्ञान यज्ञ में श्रीरामचरितमानस और श्रीमद् भागवत महापुराण के विभिन्न प्रसंगों पर संगीतमय प्रवचन दिए जा रहे हैं। पांचवें दिन के प्रवचन सत्र में आचार्य सौरभ भारद्वाज, चित्रकूट की राजकुमारी देवी, अयोध्या के आचार्य अवधेंद्र प्रपन्नाचार्य और महामंडलेश्वर महंत श्री प्रेमशंकर दास जी महाराज ने शास्त्रों के विविध आख्यानों की सुमधुर व्याख्या की। प्रवचन सुनने के लिए दूर-दराज से श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है।
राम-लक्ष्मण के वनगमन प्रसंग पर करुण व्याख्या
पांचवें दिन के सत्र में राजकुमारी देवी ने महर्षि विश्वामित्र द्वारा राजा दशरथ से राम-लक्ष्मण को मांगने के प्रसंग की भावपूर्ण व्याख्या की। उन्होंने कहा, “कर्म ही इंसान को महान बनाता है। वर्तमान समय में लोग अभिनय तो करते हैं, लेकिन उनके संबंधों में अपनापन नहीं है। परिवारों में भाई-भाई के बीच अनबन और पिता-पुत्र के बीच मतभेद बढ़ रहे हैं। संस्कारों की यह सीख हमें रामायण से मिलती है।”
परिवार और समाज में संस्कारों की आवश्यकता
आचार्य सौरभ भारद्वाज ने समाज में बढ़ती कटुता पर चिंता जताते हुए कहा, “प्राचीन काल में भगवान राम अपने भाइयों के साथ एक ही थाली में भोजन करते थे, जबकि आज हर व्यक्ति अपने-अपने कमरे में अलग भोजन करता है। पारिवारिक प्रेम और संस्कारों का लोप हो रहा है। नारी शक्ति को भी पुत्रों के प्रति भेदभाव नहीं करना चाहिए। इन सभी समस्याओं का समाधान रामचरितमानस में समाहित है।”
श्रीराम चरित मानस महायज्ञ के इस रजत जयंती समारोह में श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या में सहभागिता देखी जा रही है। यज्ञ और प्रवचनों के माध्यम से आध्यात्मिक चेतना जागृत करने का यह आयोजन सतबहिनी झरना तीर्थ को धार्मिक आस्था का केंद्र बना रहा है।