
Location: पलामू
मेदिनीनगर।नेमरा की धरती से निकला सूर्य नेमरा की वादियों में अस्त हो गया। उस सूर्य को एक झलक पाने के लिए जन शैलाब उमड़ा मानो आदमी का बाढ़ आगया। नेमरा की सड़क लक्जरी गाड़ियों से तो भरा ही था उनके चाहने वाले मानने वाले और संघर्ष के साथी रहे तेज कदमों से दौड़ रहे थे क्योंकि उनका कोहिनूर लुटा गया था। रास्ते में दिव्यांग तो दिखे ही आम आदमी ऐसे रो रहा था जैसे बुढ़ापे का लाठी टूट गया हो। जब मेरी चौपहिया जाम में फंस गया चलते एक नौजवान के मोटर साइकल पर सवार हुआ और अपने हमदम अपने मार्गदर्शक एक विचारक और शोषित जनता के विशाल दरखत जो अगस्त के 04 तारीख को ढह गया था दीदार के लिए बेताब सीधे श्मशान पहुंचे। रांची से नेमरा तक लाखों लोग आदरणीय दिशाेम गुरु जी के शव यात्रा में शामिल हुए। सुंदर वादियों पहाड़ियों झाड़ियों से घिरा गुरुजी के पुस्तैनी गांव नेमरा के एक एक पेड़, खेत के मेढ़,गांव के खपड़ैल घर के पुरानी धरण,नदी के धारा शिवचरण से शिबू बने दिशोम गुरुजी के कहानी कह रहा था। आसमान रो रहा था,धरती माता सावन के हरी साड़ी में लिपटी बेटे के गम में अपने आंसू से लोगों के पांव पखार रही थी। झारखंड सरकार के काबिना मंत्री,बिहार प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव, पप्पू यादव,खड़गे, राहुल सबों ने हेमंत दा को संबल देने पहुंचे थे। गुरुजी के चिता पर चंदन चढ़ाया नमन किए और नाम आंखों से परिवार जन से मिल कर बिदा हुए। भगवान बिरसा के बाद उनका सच्चा बारिश शिबू गुरुजी को जाना आदिवासी मूलनिवासी के रीढ़ टूट गया। रत्नगर्भा झारखंड के एक रत्न हमेशा के लिए खो गया। देश के गरीबों के आवाज लोकतंत्र संविधान के सिपाही धरती को अलविदा कह गया। प्रकृति कलेजे के टुकड़े को यथोचित स्थान दे।जल जंगल जमीन के योद्धा को विनम्र श्रद्धांजलि!