
Location: रांची
कश्मीर की वादियों में जहां पर्यटक सुकून और सैर का सपना लेकर आते हैं, वहां 22 अप्रैल को ऐसा मंजर देखा गया जिसे भूल पाना मुश्किल होगा। अनंतनाग जिले के पहलगाम इलाके में अज्ञात आतंकियों ने पर्यटकों के एक समूह पर हमला कर दिया। गोलियों की बौछार और चीख-पुकार के बीच 26 मासूम जिंदगियां खत्म हो गईं, 17 अन्य गंभीर रूप से घायल हुए हैं। ये वो लोग थे, जो जिंदगी की भागदौड़ से थोड़ा वक्त निकालकर कश्मीर की खूबसूरती को महसूस करने आए थे।
हमले के बाद घाटी में सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी गई है। एनआईए ने जांच की कमान संभाल ली है। शुरुआती इनपुट्स में इस हमले के पीछे पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों की भूमिका की आशंका जताई गई है। खुफिया एजेंसियों के अनुसार हमलावरों का संबंध लश्कर-ए-तैयबा से है। इसी के आधार पर भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को बेनकाब करने की तैयारी शुरू कर दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय सुरक्षा बैठक में दो टूक संदेश दिया गया है—आतंक का समर्थन करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान के राजनयिक अधिकारियों से जवाब-तलब करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। वहीं सैन्य स्तर पर नियंत्रण रेखा पर ऑपरेशनल तैयारियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
इस बीच, कश्मीर की आम जनता इस हमले से उतनी ही व्यथित है जितना बाकी देश। अनंतनाग के स्थानीय निवासी यूसुफ मीर ने भावुक होकर कहा—”ये हमला हमारे कश्मीर की आत्मा पर है। जो मारे गए वो हमारे मेहमान थे।” कई इलाकों में नागरिकों ने आतंकवाद के खिलाफ कैंडल मार्च निकाले और श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित कीं।
राजनीतिक दलों ने भी एक सुर में निंदा की है। नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी, भाजपा और कांग्रेस सभी ने इस कायराना हमले को भारत की एकता और पर्यटन पर हमला बताया है।
कश्मीर की वो तस्वीर, जो वर्षों से बदल रही थी—जहां पर्यटक लौटे थे, होटलें भरने लगी थीं, घाटी मुस्करा रही थी—उसे इस हमले ने झकझोर दिया है। लेकिन इस बार हालात बदल चुके हैं। देश अब खामोश नहीं रहने वाला।
यह हमला सिर्फ जिंदगियों पर नहीं था, यह एक राष्ट्र की गरिमा पर था। और इस बार, भारत ने निर्णायक कार्रवाई की शुरुआत कर दी है।